देर रात तक जागना नौजवानों को बना रहा है अस्थमा और एलर्जी का रोगी, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

देर रात तक जागना नौजवानों को बना रहा है अस्थमा और एलर्जी का रोगी, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

सेहतराग टीम

बढ़ती टेक्नोलॉजी की वजह से लोगों में तनाव बढ़ता चला जा रहा है। लोग अपना अधिक समय टेक्नोलॉजी के साथ ही बिता रहे हैं। इसकी वजह से लोगों की नींद भी पूरी नहीं हो पा रही है। ऐसी स्थिति में लोगों को कई तरह के रोग होने का डर सताने लगता है। जी हां रात तक जागना कई रोगों को निमंत्रण देना होता है। वहीं मोबाइल के इस दौर में नौजवान अधिकतर अपना समय फोन पर व्यतित करते है। यही कारण है वो रात को देर तक जागते है। इसी वजह से आज के समय में युवाओं को अस्थमा और एलर्जी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

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आपको बता दें कि हाल ही के एक अध्ययन में पाया गया है कि जो टीनएजर्स देर रात तक जागते हैं और सुबह देर तक सोते हैं। उनमें एलर्जी और अस्थमा होने की आशंका उन लोगों की तुलना में अधिक होती है, जो समय पर सोते और सुबह जल्दी जागते हैं। यह बात यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा, कनाडा के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में साबित की  

शोधकर्ताओं के अनुसार अध्ययन के निष्कर्ष नींद के महत्व को और अधिक प्रबल बनाते हैं, विशेष रूप से टीएनएजर्स में। अध्ययन में पश्चिम बंगाल के 13 - 14 वर्ष की आयु के 1,684 टीनएजर्स को शामिल किया गया। इनसे कई प्रश्न पूछे गए, जैसे कि क्या वे सुबह जल्दी उठते हैं, रात को देर से सोते हैं, दिन के किस समय वे थके हुए महसूस करते हैं, वे कब उठना पसंद करते हैं आदि। उनसे यह भी पूछा गया था कि क्या वे सांस लेने में दिक्कत महसूस करते हैं। उनके अस्थमा, एलर्जी जैसे नाक बहना और छींकना आदि के बारे में भी जानकारी इकट्ठी की गई। इसके बाद रिसर्च में सामने आया कि अस्थमा होने की आशंका उन टीनएजर्स में लगभग तीन गुना अधिक थी,  जो देर से सोते थे और सुबह देर से जागते थे।

एक्सपर्ट का मानना है कि रिसर्च के परिणाम बताते हैं कि सोने के समय और टीनएजर्स में अस्थमा और एलर्जी के बीच गहरा संबंध है। शोधकर्ताओं ने कहा निश्चित तौर पर तो नहीं कह सकते हैं कि देर से सोना अस्थमा का कारण बन रहा है, लेकिन स्लीप हार्मोन मेलाटोनिन अक्सर देर से सोने वालों में ज्यादा बनता है और टीनएजर्स में एलर्जी रिस्पॉन्स को प्रभावित करता है।

 

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