सेक्‍स लाइफ बर्बाद होने से पहले संभल जाएं

सेक्‍स लाइफ बर्बाद होने से पहले संभल जाएं

सेहतराग टीम

किसी वयस्‍क जोड़े के बीच यौन संबंध एक सामान्‍य सी बात है मगर महानगरों में अब युवा जोड़ों के बीच यौन संबंधों में उदासीनता आती जा रही है। देश के महानगरों में 18 वर्ष से 45 वर्ष तक की आयु के बीच के लोगों के बीच किए गए एक सर्वेक्षण के नतीजे बताते हैं कि सेक्‍स को लेकर लोगों के बीच खुलापन जरूर बढ़ा है मगर यौन संबंध बनाने को लेकर उदासीनता बढ़ती जा रही है। कभी सप्‍ताह में दो से तीन दिन यौन संबंध बनाने वाला कोई शादी-शुदा जोड़ा अब महीने या कई बार दो महीने में एक बार यौन संबंध बना पाता है। ये समस्‍या तेजी से बढ़ती जा रही है और लोग इसकी कई वजहें बताते हैं।

दरअसल समाज में तेजी से बदलाव आए हैं और इसके कारण सेक्‍स से जुड़ी बातें अब हिचक का विषय नहीं रह गई हैं। दरअसल इंटरनेट के व्‍यापक प्रसार और इसके कारण पोर्न तक हर किसी की पहुंच ने सेक्‍स को सर्वसुलभ बना दिया है। यही नहीं ऑनलाइन डेटिंग साइट्स के कारण सेक्‍स पार्टनर की तलाश भी युवाओं के लिए आसान हो गई है। ऐसे में यौन संबंधों की न‍िरंतरता बढ़नी चाहिए थी मगर इसका परिणाम उलटा निकला है। लोग इंटरनेट यानी आभासी दुन‍िया में तो सेक्‍स से जुड़ी सामग्री ज्‍यादा से ज्‍यादा देख रहे हैं मगर असलियत में सेक्‍स से कट गए हैं।

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इस सर्वे के अनुसार आभासी दुनिया में सेक्‍स की भरमार के बावजूद अमेरिका समेत अधिकांश देशों में युवा आबादी व्‍यक्तिगत जीवन में सेक्‍स से कटती जा रही है और इसकी सबसे बड़ी वजह बने हैं मोबाइल फोन तथा लैपटॉप एवं टैब जैसे अन्‍य उपकरण। इन उपकरणों पर सोशल मीडिया का इस्‍तेमाल तथा चौबीसों घंटे ऑनलाइन शोज, फ‍िल्‍में तथा अपनी दिलचस्‍पी के अन्‍य कार्यक्रम लोगों को जरूरत से ज्‍यादा व्‍यस्‍त रखते हैं। यहां तक कि बेडरूम में बड़ी संख्या में कपल्स, सेक्स करने की बजाए साथ में बैठकर या फिर अलग-अलग अपने-अपने फोन्स पर कोई ऑनलाइन शो देख रहे होते हैं या फिर सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहते हैं। ऐसे में लोगों की डिजिटल लाइफ उनकी सेक्स लाइफ पर हावी हो जाती है।

इंटरनेट पर सेक्‍स पार्टनर की तलाश करने का ट्रेंड बढ़ रहा है लेकिन इसका मतलब हर वक्त और ज्यादा सेक्स करना नहीं है। एक रिसर्च में यह बात सामने आयी कि करीब एक तिहाई स्टूडेंट्स हुकअप कल्चर का हिस्सा नहीं बनना चाहते। एक तिहाई से थोड़े ज्यादा स्टूडेंट्स कभी कभार हुकअप के बारे में सोचते हैं। बाकी के स्टूडेंट्स लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप में थे। हालांकि सिंगल रहना कम सेक्स करने की एक वजह हो सकता है लेकिन कमिटेड रिलेशन में रहने और पार्टनर के साथ रहने पर भी सेक्स में कमी ही देखने को मिल रही है।

तो क्‍या सिर्फ इन उपकरणों को सेक्‍स लाइफ में कमी की वजह मान लिया जाए? शायद ऐसा नहीं है। दरअसल असली वजह तो हमारी दिनचर्या ही है। सप्‍ताह में पांच दिन और कई बार छह दिन लोगों की दिनचर्या सुबह से देर रात तक भागते रहने वाली होती है। इसके कारण रात में जो सेक्‍स का समय होता है उस समय लोग मनोरंजन का वक्‍त निकालने की कोशिश करते हैं और तब एंट्री होती है इन उपकरणों की।

ये समझने की जरूरत है कि सेक्‍स लाइफ इंसानी जीवन का एक अनिवार्य अंग है। लंबे समय तक इससे दूर रहना कई तरह की मनोवैज्ञानिक समस्‍याओं को जन्‍म देता है। इनमें कपल्‍स के बीच भावनात्‍मक लगाव में कमी जैसी स्थिति भी आ सकती है। इसलिए जरूरत इस बात की है कि हम अपनी जिंदगी में सेक्‍स की अहम‍ियत को समझें और अपनी दिनचर्या को उसी के अनुरूप ढालें।

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