कोरोना की तरह ये बीमारी भी है खतरनाक,जानें इसके लक्षण, उपाय और खतरा

कोरोना की तरह ये बीमारी भी है खतरनाक,जानें इसके लक्षण, उपाय और खतरा

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस काफी खतरनाक बीमारी है। इसके अलावा भी कई तरह की बीमारियां है जो जानलेवा है। उन्हीं में एक है मेनिंगोकोकल मेनिंजाइटिस। ये एक संक्रामक बीमारी है। कोरोना वायरस की तरह ही इसका संक्रमण भी खांसने और छींकने की वजह से फैलता है। इसका संक्रमण मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास की सुरक्षात्मक परत को प्रभावित करता है। आइए जानते हैं कि यह बीमारी कैसे फैलती है, इसके लक्षण क्या हैं और इस बीमारी का खतरा किन्हें ज्यादा है? 

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कैसे फैलती है यह बीमारी? 

विशेषज्ञ कहते हैं कि मेनिंगोकोकल एक प्रकार का संक्रमण है, जो नाइसीरिया मेनिनजाइटिडिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। इसके संक्रमण का भी हाल कुछ-कुछ कोरोना वायरस की तरह ही है, यानी कई लोगों के शरीर में मेनिंगोकोकल के बैक्टीरिया मौजूद होते हैं और वो बीमार नहीं पड़ते हैं, लेकिन दूसरों को वो संक्रमित जरूर कर सकते हैं। 

इस बीमारी का खतरा किन्हें ज्यादा? 

वैसे तो यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन इसा ज्यादा खतरा पांच साल से कम उम्र के बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों को होता है। उनमें यह बीमारी ज्यादा देखी गई है। इसके अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी की कमी वाले व्यक्तियों को भी इसका ज्यादा खतरा होता है। 

मेनिंगोकोकल मेनिंजाइटिस के लक्षण क्या हैं? 

  • बुखार 
  • सिर दर्द 
  • गर्दन में अकड़न 
  • रोशनी या प्रकाश से संवेदनशीलता 
  • उलझन 
  • पेट खराब 
  • उल्टी 
  • चिड़चिड़ापन 
  • भूख न लगना 
  • मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली परत में सूजन 

इस बीमारी से बचाव के उपाय क्या हैं? 

मेनिंगोकोकल मेनिंजाइटिस का एक निवारक उपाय टीकाकरण है, जो जान बचा सकता है और गंभीर जटिलताओं को कम कर सकता है। इसकी वैक्सीन उपलब्ध है। इसके अलावा स्वच्छता और संक्रमित मरीजों से सुरक्षित शारीरिक दूरी बनाकर रखना भी इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है। बच्चों को इसका टीका लगवाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। 

कितनी खतरनाक है यह बीमारी? 

मेनिंगोकोकल मेनिंजाइटिस से होने वाली मृत्यु की दर काफी ऊंची है, अगर मरीज का समय पर इलाज नहीं हुआ तो यह दर 50 फीसदी तक हो सकती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि यह बीमारी बहुत जल्दी जानलेवा बन जाती है। इसके लक्षण की शुरुआत के बाद 24 से 48 घंटों के अंदर ही मरीजों की मौत हो जाती है और अगर लोग इस बीमारी से बच भी जाते हैं, तो उनमें से अधिकांश को दिमागी नुकसान, बहरापन, घाव और अंग कटने जैसी गंभीर जटिलताओं के साथ जीना पड़ सकता है। 

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