नॉनस्टिक से है प्‍यार तो इन खतरों के लिए भी रहिये तैयार

नॉनस्टिक से है प्‍यार तो इन खतरों के लिए भी रहिये तैयार

श्रीविशाल त्रिपाठी

आजकल नॉनस्टिक बर्तन आधुनिक किचन की जरूरत बन चुके हैं। हर कोई अपने किचन में नॉनस्टिक बर्तन ही रखना चाहता है। यूं कहे कि जब भी कोई बर्तनों की खरीदारी करता है तो नॉनस्टिक उसकी पहली पसंद होती है। ये स्‍वाभाविक भी है क्‍योंकि ये बर्तन न सिर्फ दिखने में अच्छे लगते हैं बल्कि इनमें तेल कम लगने, खाना न जलने जैसे कई अन्‍य लाभ होते हैं।

मगर...

क्या आप जानते हैं कि इन बर्तनों के इस्तेमाल से हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर भी पड़ सकता है और कई गंभीर समस्याओं से जूझना पड़ सकता है। दरअसल इन बर्तनों की नॉनस्टिक परत आपके स्वास्थ्य को बदहाल करने के लिए काफी होती है। जी हां नॉनस्टि‍क बर्तन हमें ढेर सारी बीमारियों की सौगात दे सकते हैं। इनमें से कुछ पर नजर डालें:

1. थॉयराइड: नॉनस्टिक बर्तनों के इस्तेमाल से पीएफओए यानी पेरुलूरोटोननिक एसिड नाम का तत्‍व शरीर में पहुंच जाता है जिससे थॉयरायड होने का खतरा बढ़ जाता है।

2. कॉग्नीटिव डिसऑर्डर: रिसर्च में पता चला है कि नॉन स्टिक बर्तन को बनाने में इस्तेमाल होने वाले आर्गेनिक कंपाउंड से कॉग्नीटिव डिस्ऑर्डर होने का खतरा रहता है...दरअसल इन बर्तनों में खाना बनाने से हमारे शरीर में ऐसे एलीमेंट पहुंच जाते हैं जिससे कई तरह के कॉग्नीटिव डिस्ऑर्डर हो सकते हैं।

3. हड्डियों की बीमारी: नॉनस्टिक बर्तनों के ज्यादा इस्तेमाल से शरीर में आयरन की कमी हो सकती है जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इसलिए कहते हैं कि खाना पारंपरिक रूप से इस्‍तेमाल होने वाली कास्‍ट लोहे की कढ़ाही में ही बनाना चाहिए।

4. कैंसर: नॉनस्टिक बर्तन में ज्यादा पका हुआ खाना ऐसे एलीमेंट रिलीज करता है जिसकी मात्रा शरीर में ज्यादा होने पर कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है

5. हृदय रोग: कई रिसर्च से पता चला है कि लोहे के बजाय नॉनस्टिक में खाना बनाना दिल के लिए घातक हो सकता है। दरअसल नॉनस्टिक बर्तन में खाना बनाने से शरीर में हाई ट्राईग्लेसिराइड की मात्रा बढ़ जाता है जिससे हार्टअटैक की संभावना बढ़ जाती है।

6. प्रजजन समस्या: नॉनस्टिक बर्तनों में खाना बनाने से शरीर में पीएफओए (PFOA) बढ़ जाता है जिससे बंध्‍यता या इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ती है।

7. इम्यून सिस्टम कमजोर होना: रिसर्च से पता चला है कि नॉनस्टिक बर्तनों के ज्यादा इस्तेमाल से शरीर से टेफ्लॉन की मात्रा बढ़ सकती है और ये हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को बहुत कमजोर कर देता है। नॉनस्टिक बर्तनों में अकसर टेफ्लॉन का इस्‍तेमाल होता है।

8. लिवर डैमेज: नॉनस्टिक बर्तन में खाना बनाने से कई टॉक्सिक परफ्यूम्स निकलते हैं जो लिवर को खराब करने में सक्षम होते हैं।

9. किडनी डैमेज: नॉनस्टिक बर्तन के इस्तेमाल से अप्रत्यक्ष रूप से किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कुछ मामलों में आपकी किडनी खराब भी हो सकती है।

10. कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ना: पीएफओए की मात्रा बढ़ने से शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल भी बढ़ जाता है।

इतना ही नहीं, कभी-कभार नॉनस्टि‍क बर्तन हमारी तकलीफ बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण को संतुलित रखने वाले पंछियों के लिए भी खतरा हो सकते है। दरअसल इन बर्तनों को जरूरत से ज्यादा गर्म करने पर इससे 5-6 तरह की हानिकारक गैस निकलती है। इनकी वजह से पंछियों में टेफ्लॉन टॉक्सकोसिस और इंसानों में पॉलीमर फ्यूम फीवर होने की आशंका बढ़ जाती है।

तो अगली बार किचन के लिए बर्तन खरीदते समय इस बात का ध्‍यान रखें कि हमारी रसोई में इस्‍तेमाल होने वाले पारंपरिक बर्तन भले ही भद्दे दिखते हों, भले ही उनकी साफ-सफाई और रख-रखाव में मेहनत लगता हो मगर हमारी सेहत के लिहाज से वही आज भी सबसे बेहतर हैं। अब तो डायटिशियन भी इस बात को मानने लगे हैं कि शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने के मामले में लोहे की कढ़ाई का कोई जवाब नहीं है।

(लेखक आयुर्वेदाचार्य हैं और दिल्‍ली स्थित मूलचंद अस्‍पताल के आयुर्वेद विभाग के प्रमुख हैं।

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