क्या महाराष्ट्र में दिखने लगा है कोरोना की तीसरी लहर का असर?

क्या महाराष्ट्र में दिखने लगा है कोरोना की तीसरी लहर का असर?

सेहतराग टीम

कोरोना के मामलों में कमी आ गई है। लेकिन तीसरी लहर के संकेत से पूरा देश सहमा हुआ है। वहीं महाराष्ट्र के अहमदनगर से इन दिनों चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है। दरअसल पिछले महीने अहमदनगर में 9900 से अधिक बच्चों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई है। इनमें से 95 फीसदी बच्चे एसिम्प्टोमैटिक यानी बिना लक्षण वाले थे।  रिपोर्ट्स की माने तो अहमदनगर प्रशासन का कहना है कि जिन बच्चों में संक्रमण की पुष्टि हुई है, उनमें से 6,700 बच्चे 11 से 18 साल की उम्र के हैं, जबकि तीन हजार से अधिक बच्चे 1-10 साल की उम्र के हैं। ये सिर्फ अहमदनगर की बात नहीं है, बल्कि इसके अलावा देश के अन्य कई राज्यों में भी बच्चों के कोरोना से संक्रमित होने की खबरें हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कोरोना की तीसरी लहर आ गई या आ रही है? 

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विशेषज्ञ कहते हैं कि अभी इस बारे में कुछ कह पाना मुश्किल है। हालांकि यह अंदेशा जताया जा चुका है कि कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है और कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि तीसरी लहर में ज्यादातर बच्चे कोरोना की चपेट में आएंगे। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन जिस तरह से वायरस म्यूटेट हो रहा है, इस बात को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता है। इसलिए सावधानी तो जरूरी है। आइए जानते हैं कि बच्चों में कोरोना के क्या लक्षण हो सकते हैं और इससे बचाव के लिए क्या करना चाहिए? 

बच्चों में कोरोना के सामान्य लक्षण 

  • बुखार 
  • खांसी 
  • डायरिया 
  • पेट में दर्द, सिर दर्द, बदन दर्द 
  • थकान, कमजोरी 
  • नाक बहना 
  • गले में खराश 
  • स्वाद और गंध नहीं आने की शिकायत 

बच्चों में कोरोना के गंभीर लक्षण 

बच्चों में कोरोना के गंभीर लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ और सीने में दर्द शामिल हैं। इसके अलावा अगर ऑक्सीजन लेवल गिरकर 90 से नीचे चला जाता है तो इस तरह के कोरोना संक्रमित बच्चों को भी गंभीर संक्रमित कहा जाता है। कुछ बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फलेमेटरी सिंड्रोम भी देखने को मिल रहा है। इस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में 100 डिग्री से ज्यादा बुखार लगातार बना रहता है। ऐसे गंभीर लक्षण दिखने पर बच्चों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है। 

हालांकि नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल कहते हैं कि अभी बच्चों में संक्रमण का खतरा है, लेकिन संक्रमित होने के बाद उनके गंभीर रूप से बीमार होने के मामले बहुत कम हैं। 2-3 फीसदी बच्चे जो कोरोना से संक्रमित हो जाते हैं, उन्हें ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत हो सकती है, ज्यादातर बच्चे संक्रमित होने के बाद घर पर ही ठीक हो रहे हैं। 

बच्चों को कोरोना से कैसे बचाएं? 

डॉक्टर और विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना से बचने के लिए जो सावधानियां व्यस्क अपना रहे हैं, वहीं बच्चों को भी अपनाने की जरूरत है। बच्चों को मास्क पहनाएं, लेकिन ध्यान रहे कि ज्यादा छोटे बच्चों को न पहनाएं। इसके अलावा सुरक्षित शारीरिक दूरी का ध्यान रखें, किसी बाहरी व्यक्ति से बच्चों को दूर रखें। बच्चों को घर से बाहर न निकलने दें। समय-समय पर उनके हाथ धुलाते रहें और सबसे जरूरी कि बच्चों तक पहुंच की चीजों को सैनिटाइज करते रहें। उनके कपड़े और खिलौनों को नियमित रूप से धोएं। इसके अलावा जो सबसे जरूरी बात है, वो ये कि बच्चों के पैरेंट्स वैक्सीन जरूर लगवाएं, क्योंकि बच्चों के लिए तो अभी वैक्सीन नहीं आई है, लेकिन पैरेंट्स अगर वैक्सीन लगवा लेंगे तो वह बच्चों के लिए भी एक सुरक्षा कवच की तरह होगा। 

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