ऐसे सुलझाएं बालों की समस्‍याएं

ऐसे सुलझाएं बालों की समस्‍याएं

डॉक्‍टर देवेंद्र जैन

सामान्‍य व्‍यक्ति के सिर से रोजाना 50 से 10 बाल गिरते हैं। सिर के अलावा शरीर के अन्‍य भागों से बाल दिन-रात लगातार झड़ते रहते हैं, लेकिन शरीर के अन्‍य भागों से बालों के झड़ने का पता नहीं चलता है। बहुत अधिक मालिश, सिर पर ब्रश फेरने और कंघी करने से केवल ढीले बाल ही झड़ते हैं। इसलिए लोगों की यह धारणा गलत है कि मालिश, ब्रश करने और कंघी करने से बाल अधिक झड़ते हैं। गर्मियों और बरसात में बाल अधिक गिरते हैं, इसलिए इन मौसमों को ‘बाल झड़’ मौसम कहा जाता है। बरसात के बाद बाल फ‍िर से उगने लगत हैं।

बालों के झड़ने का कारण

चि‍कित्‍सीय भाषा में बालों के बहुत अधिक झड़ने की स्थिति को टेलोजने इफ्लुवियम कहा जाता है। टेलोजन इफ्लुवियम के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि गर्भावस्‍था, हार्मोन में बदलाव, टाइफाइड, डेंगू, इनफ्लुएंजा, वायरल बुखार, तपेदिक, भावनात्‍मक तनाव, कैंसर, इम्‍यून संबंधी बीमारियों की दवाइयों का लंबे समय तक सेवन, अत्‍यधिक डायटिंग, दुर्घटना और चोट, एनीमिया आदि।

इलाज

टेलोजन इफ्लुवियम के कारण अत्‍यधिक बाल झड़ने वाले रोगियो को कोई विशेष इलाज की जरूरत नहीं होती। अधिक बाल झड़ने पर इसके कारण का पता लगाकर उस कारण का उचि‍त इलाज कराना चा‍हिए। कारण के दूर होने के बाद बालों का अत्‍यधिक झड़ना रुक जाएगा और कुछ समय के बाद झड़े हुए बालों की जगह धीरे-धीरे नए बाल निकल आएंगे। प्रचूर मात्रा में विटामिन और आवश्‍यक खनिजों विशेषकर आयरन से परिपूर्ण पौष्टिक आहार और विटामिन बी कॉम्‍प्‍लेक्‍स की अतिरिक्‍त खुराक से पोषण संबंधी कमियों को पूरा करने में सहायता मिल सकती है।

सामान्‍य गंजापन

सामान्‍य गंजेपन को चि‍कि‍त्‍सीय भाषा में एंड्रोजेनेटिक एलोपीसिया या मेल पैटर्न बाल्‍डनेस कहा जाता है। इस तरह का गंजापन आम तौर पर पुरुषों में ही देखा जाता है इसलिए यह मेल टाइप बाल्‍डनेस कहलाता है।

इस तरह का गंजापन सेक्‍स हार्मोन और आनुवंशिकी पर आधारित होता है। यह माता-पिता से वंशागत होता है। इस तरह का गंजापन किशोरावस्‍था से पहले प्रकट नहीं होता है। इसके गंभीर रूप लेने पर सिर के बीच के हिस्‍से सहित आगे के हिस्‍से और सिर के पिछले हिस्‍से से बाल पूरी तरह खत्‍म हो जाते हैं। हालांकि दोनों किनारों और सिर के पिछले हिस्‍से में थोड़े से बाल रह जाते हैं।

इलाज

बाजार में गंजापन रोकने के दावे करने वाले आयुर्वेदिक फार्मूले पर आधारित कई प्रकार के शैंपू और बालों में लगाने वाले तेल उपलब्‍ध हैं मगर हकीकत में ये किसी तरह से फायदेमंद नहीं होते हैं। ऐसा सिर्फ एक ही चि‍क‍ित्‍सीय उत्‍पाद है जो निश्चि‍त तौर पर बालों के बढ़ने में वृद्धि कर सकता है और मेल टाइप गंजापन को बढ़ने से रोकता है। यह उत्‍पाद मिनोक्सिडिल पर आधारित है जिसका इस्‍तेमाल उच्‍च रक्‍तचाप के इलाज के लिए किया जाता है। इस दवा का सेवन करने वाले रोगियों के बालों में वृद्धि पाई गई है। दवा का पहला परिणाम कम से कम छह म‍हीने के बाद ही सामने आता है। अभी तक खाने की ऐसी कोई दवा उपलब्‍ध नहीं है जो गंजेपन की प्रक्रिया को नियंत्रित या इसे उलटा कर सके। हाल में फ‍िनास्‍टेराइड के नाम से एक एंटीएंड्रोजेन दवा का विकास किया गया है जो कि नर हार्मोन के अध्‍यधिक प्रभाव को कम करता है। हालांकि इस दवा का इस्‍तेमाल सिर्फ च‍िकित्‍सीय निगरानी में ही करना चाहिए।

चकत्‍ते के रूप में बालों का गिरना

कुछ बीमारियां किसी खास क्षेत्र से बालों का झड़ना बढ़ा देती हैं। यह पैची एलोपेसिया कहलाता है। पैची एलोपेसिया में आम तौर पर किसी खास हिस्‍से से बालों का झड़ना शुरू हो जाता है लेकिन इस हिस्‍से की त्‍वचा बिलकुल सामान्‍य रहती है। यह बच्‍चों में सामान्‍य है लेकिन अकसर यह युवाओं में भी हो जाती है। यह बुजुर्गों में कभी कभार ही देखी जाती है।

इलाज

अधिकतर मामलों में बिना किसी इलाज के ही तीन से छह माह के दौरान इस हिस्‍से में बाल फ‍िर से आने शुरू हो जाते हैं लेकिन कुछ रोगियों को इलाज की जरूरत पड़ सकती है। इसका एकमात्र प्रभावी इलाज नियमित रूप से कॉर्टिकोस्‍टेरायड का सेवन है और अधिकतर रोगियों में कम खुराक से ही पर्याप्‍त प्रतिक्रिया दिखाई देने लगती है। इन पैचों में बाल आने में दो महीने लग जाते हैं मगर इलाज को छह से नौ महीने तक जारी रखना चाहिए।

(फैमिली हेल्‍थ गाइड से साभार। यह किताब hindibooks.org से मंगवाई जा सकती है)

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