कोरोना महामारी में गर्भवती महिलाओं को रखना होगा विशेष ध्यान: एक्सपर्ट की खास सलाह

कोरोना महामारी में गर्भवती महिलाओं को रखना होगा विशेष ध्यान: एक्सपर्ट की खास सलाह

सेहतराग टीम

गर्भावस्था और प्रसव के बाद मानसिक स्वास्थ्य का बेहतर रहना स्वस्थ मां और शिशु दोनों के लिए जरूरी है। कोरोना के तेजी से बढ़ते प्रकोप के बीच गर्भवती महिलाओं और प्रसूताओं की मानसिक तकलीफें बढ़ी हैं। गर्भ में पल रहे या मां का दूध पीने वाले बच्चे के स्वास्थ्य और टीकाकरण पर असर पड़ने से उसकी मस्तिष्क क्षमता पर असर पड़ रहा है।

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बंगलूरू स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (निमहान्स) की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सुंदामाग गांजेकर और डॉ. प्रभा एस चंद्रा का कहना है कि कोरोना महामारी के बीच गर्भवती और प्रसूता का मन स्वस्थ रहेगा, तभी उसके बच्चे की सेहत दुरुस्त रहेगी। मां को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ से बच्चे का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। आइए जानते हैं कैसे रखना है ख्याल और क्या है तकलीफ के लक्षण...। 

एहतियात के बाद भी डरे रहनागर्भवती महिला या प्रसूता को संक्रमण का डर सताता रहता है। डर और भय से अनिद्रा की तकलीफ होगी। घबराहट-बेचैनी और सोशल मीडिया का प्रयोग बढ़ सकता है। खुद को पूरी तरह आइसोलेट करने के कारण गुस्सा और उदासी हावी हो सकती है। गंभीर परिस्थिति में खुद पर नियंत्रण नहीं होगा। महामारी की खबरों को पढ़ना, देखना और सुनना कम करें।

गर्भवती महिला या प्रसूता को हमेशा इस बात का ध्यान रखना होगा कि जब उसका मन स्वस्थ रहेगा, तभी बच्चा स्वस्थ रहेगा। कोरोना से जुड़ी खबरों को पढ़ना, देखना और सुनना कम करना होगा। जितना अधिक खबरें या जानकारी एकत्र करेंगी उतना अधिक चिंतित और व्यथित होंगी। इसका सीधा असर बच्चे के विकास पर पड़ेगा। खुद को संक्रमण से बचाने के लिए हर संभव इंतजाम करें लेकिन उसके डर को मन पर न हावी होने दें।

खुद को प्रोत्साहित करना होगा

ऐसे लोगों के बारे में जानें जिन्होंने बच्चे को जन्म दिया और कोरोना को मात दी। इस तरह के लोगों से बात कर प्रोत्साहित हों। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। खानपान पौष्टिक रखें और समय-समय पर खाते रहें जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे।

संभव हो तो अस्पताल न जाएं

गर्भावस्था के दौरान या नवजात के साथ बाहर जाने से बचना होगा। खासतौर पर अस्पताल क्योंकि अस्पताल से संक्रमण होने की आशंका है। डॉक्टर से फोन पर बात करें। जांच रिपोर्ट ऑनलाइन ही दिखाएं। सावधानी के साथ ही अस्पताल जाएं।

मनोरोगी हैं तो दवा लेते रहें

गर्भवती या प्रसूता को पहले से ही कोई मानसिक तकलीफ है तो दवा लेनी होगी। बिना डॉक्टरी सलाह के दवा न लें और न ही बदलें। मानसिक रोग गंभीर हो जाएं तो इलाज करने वाले डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चे को तकलीफ हो तो संयम से काम लें घबराएं नहीं।

(साभार)

 

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