कान को सींक से खुजलाया था, अब कान से पस आता है, क्‍या करूं?

कान को सींक से खुजलाया था, अब कान से पस आता है, क्‍या करूं?

सेहतराग टीम

कान इंसानी शरीर के सबसे संवेदनशील अंगों में से एक है। ये शरीर का संवेदी भाग है जो किसी भी आवाज को दिमाग तक पहुंचाने का काम करता है। जाहिर है कि इसका खराब होना इंसान की क्षमता और दक्षता दोनों को प्रभावित करता है। ऐसे में कान से जुड़ी कुछ बातों की जानकारी हमें होनी चाहिए। ऐसी कुछ बातों की जानकारी हम इस आलेख में दे रहे हैं।

प्रश्‍न: चार वर्ष पहले कान को सींक से कुरेद लिया था। अब उससे पस आता है और दर्द भी रहता है। सिरदर्द भी रहता है।

उत्‍त्‍र: कान में वैक्‍स या खुजली होने पर सींक आदि से कभी नहीं खुजलाना चाहिए। इससे कभी कभी कान की झिल्‍ली फट सकती है और उसमें छेद हो सकता है। बाद में संक्रमण के कारण उसमें पस बन सकता है। कभी-कभी ये संक्रमण मस्तिष्‍क में पहुंच सकता है। आपके मामले में ऐसा लगता है कि ये झिल्‍ली में छेद और विषाणु संक्रमण के कारण पस बन गया है। किसी अच्‍छे ईएनटी च‍िकित्‍सक से इलाज करवाएं।

प्रश्‍न: कानों में मधुमक्‍खी के भिनभिनाने जैसी आवाज आती है।

उत्‍तर: कानों से कम सुनाई देने की स्थिति में अकसर ऐसी भिनभिनाहट सुनाई देती है। यदि यह ज्‍यादा हो जाए तो मस्तिष्‍क की एकाग्रता और नींद में बाधा पड़ती है। कुछ दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव के कारण भी ऐसा हो सकता है। तेज आवाज से बचें। कान को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं (जैसे कि स्‍ट्रेप्‍टोमाइसिन, कैंसर रोग में काम आने वाली दवाएं, सेलीसिलेट्स आदि) का सेवन न करें। कृत्रिम आवाज यंत्र को कान में लगाने पर लाभ हो सकता है।

प्रश्‍न: बचपन में पानी भर जाने के कारण दायां कान खराब हो गया था। अब बायां कान भी कभी-कभी बंद हो जाता है और रेल के इंजन की तरह आवाज आती है?

उत्‍तर: रेल के इंजन की तरह की आवाजें कान के एक भाग कोकलिया के क्षतिग्रसत हो जाने के कारण आती है। सुनने की प्रक्रिया को संचालित करने वाली तंत्रिका के रोगग्रस्‍त होने या कुद दवाओं जैसे कि एस्‍प्र‍िन या कुनैन के सेवन से भी ऐसी आवाजें कान में आ सकती हैं। विस्‍तृत जांच से ही सही बात पता चलेगी।

प्रश्‍न: कान के अंदर बहुत खुजली होती है। इसका क्‍या कारण हो सकता है?

उत्‍तर: कान के अंदर की खुजली के मुख्‍य कारणों में कान के बाहर या अंदर के भाग का संक्रमण है। कान के बाहर का भाग सोराइसिस व सिवोरिक द्वारा प्रभावित होना, कान साफ करने की आदत या अधिक खुजलाने की प्रक्रिया भी इसके लिए जिम्‍मेदार हो सकती है। इसलिए कान को खुजलाएं नहीं। संक्रमण को दवा से नियंत्रित करें। झिरटेक नामक दवा की 10 मिलीग्राम की एक गोली प्रतिदिन लें। अंदर चमड़ी व कान के अंदर का भाग सूख रहा हो तो मिनरल ऑयल लाभदायक हो सकता है। कान में मदिरा की बूंद डालने से भी खुजली में आराम मिलता है। कान के अंदर की विस्‍तृत जांच और रक्‍त में शर्करा के स्‍तर की जांच करवा लें।

(यह आलेख प्रो. (डॉ) एम.पी. श्रीवास्‍तव और डॉ. संजय श्रीवास्‍तव की किताब सवाल आपके जवाब डॉक्‍टर के से साभार लिया गया है।)

 

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