होली के मौके पर अस्थमा के मरीज बरतें ये सावधानी, अटैक पड़ने के खतरे से दूर रहेंगे

होली के मौके पर अस्थमा के मरीज बरतें ये सावधानी, अटैक पड़ने के खतरे से दूर रहेंगे

सेहतराग टीम

होली में सब जमकर रंग खेलते हैं। ऐसे में लोग सालभर से इस त्योहार का इंतजार करते हैं। रंग खेलना बहुत लोगों को पंसद है लेकिन कई बार ये रंग कई तरह की परेशानियों को निमत्रंण दे देता है। यह इसलिए क्योंकि कई रंग में केमिकल पाए जाते हैं जो हमारे आंख, त्वचा और बालों के लिए काफी नुकसानदायक होता है। इसके अलावा रंगों में मौजूद हानिकारक तत्वों से स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं। अस्थमा फेफड़ों की ऐसी बीमारी होती है जिसके कारण व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है। होली के रंग अगर अनजाने में अस्थमा से पीड़ित किसी मरीज के मुंह में चले जाएं, तो उसे अस्थमा अटैक आ सकता है।

पढ़ें- फिट और स्लिम बॉडी पाने के लिए करते हैं डाइटिंग तो जान लीजिए इसके साइड-इफेक्ट

इसके अलावा होली के एक दिन पहले होलिका दहन से सांस के मरीजों में खतरा और बढ़ जाता है। दरअसल, आसपास के समुदाय और समाज के लोग अलाव जलाने एक साथ जुटते हैं। इससे बहुत सारा धुआं और हवा में राख उड़ती है, ये छोटे-छोटे धुएं के कण फेफड़ों में जाकर मरीज का सांस लेना मुश्किल कर देते हैं। इसी वजह है कि रंग खेलते समय अस्थमा के मरीजों को सावधान रहने की जरूरत होती है। आज हम आपको बताएंगे 7 बातें जिन्हें ध्यान में रखकर अस्थमा के मरीज भी होली को हैप्पी और सेफ बना सकते हैं।   

होली खेलने से पहले अस्थमा के मरीज इन 7 बातों पर दें खास ध्यान 

इनहेलर को पास रखें 

अस्थमा के मरीजों को होली खेलते समय जोश में आकर आपना इनहेलर पास रखना नहीं भूलना चाहिए। ऐसा करने से आपको सिंथेटिक रंगों के कारण होने वाली बेचैनी से बचने में मदद मिलेगी। हालांकि, ऐसा करने से पहले अपने डॉक्टर से एक बार सलाह जरूर ले लें।

नेचुरल रंगों का इस्तेमाल करें

अगर आप होली खेलना ही चाहते हैं, तो आर्टिफिशियल रंगों के बजाय नेचुरल कलर्स का उपयोग करें। हालांकि, इनके प्रयोग से भी अस्थमा का डर बना रहता है, लेकिन केमिकल वाले रंगों के मुकाबले ये कम नुकसानदायक होते हैं।

स्कार्फ का इस्तेमाल करें

होलिका दहन के दौरान हमेशा मुंह पर स्कार्फ या नाक को ढंकने वाला मास्क पहनें। ये सांस के प्रदूषकों को कम करने में मदद करेगा। जब अलाव जलाया जा रहा हो, तो इसके पास जाने से बचें। क्योंकि इसमें से निकलने वाली गर्मी आपको बेचैन कर सकती है। जब धुआं कम हो जाए, तब ही अनुष्ठान करना आपके लिए सही है।

बच्चों का रखें खास ध्यान

होली के रंग अस्थमा से पीड़ित बच्चों को बहुत जल्दी अपना शिकार बनाते हैं। ऐसे में अगर आपके बच्चे को अस्थमा है, तो उसका ध्यान रखें। माता-पिता की जिम्मेदारी है कि होली खेलने के दौरान अपने बच्चे के आसपास ही बने रहें। ध्यान दें कि वह सूखे रंगों के संपर्क में ना आने पाएं।

संतुलित आहार लें

किसी तरह की सांस की समस्या से बचने के लिए संतुलित आहार खाएं। यह अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा फोर्टिफाइड दूध, संतरे का रस और अंडे जैसे विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करें। इनसे शरीर में आने वाली सूजन को रोका जा सकता है।

शराब से बना लें दूरी

शराब पीने से बचें। ये कुछ लोगों को बहुत जल्दी अटैक की तरफ ले जा सकती है। साथ ही तनाव और चिंता करने से भी बचना चाहिए। दमा वाले व्यक्ति को मानसिक रूप से बहुत ज्यादा उत्तेजित नहीं होना चाहिए।

सूखे रंगों से दूर रहें

होली के दिन गुलाल सबसे ज्यादा खेला जाता है। लेकिन, अस्थमा के मरीजों के लिए ये घातक हो सकता है। इसलिए, ध्यान रखें कि आप पर कोई सूखा रंग ना डालें। क्योंकि सूखे रंग में मौजूद कण हवा में काफी वक्त तक तैरते हैं। ये आपके फेफड़ों में जा सकते हैं और आपको सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।

तुरंत डॉक्टर से सपंर्क करें

होली खेलते वक्त आपकी सांस फूलने लगे या बेचैनी का अहसास हो, तो घरेलू उपचारों को करने के बजाय तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। बीमारी के बारे में और भी बहुत कुछ जानने के लिए अस्थमा मेगा गाइड जरूर देखें।

इसे भी पढ़ें-

टोटल हेल्थ गन्ने का जूस पीने से होते हैं ये 6 कमाल के फायदे

 

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।