बीमारी है सेक्‍स की लत, जानें इसके बारे में सबकुछ

बीमारी है सेक्‍स की लत, जानें इसके बारे में सबकुछ

सेहतराग टीम

सेक्‍स की लत एक ऐसी समस्‍या है जिससे समाज का एक तबका पीड़ि‍त है और मुश्किल ये है कि वो इसके बारे में जागरूक भी नहीं है। इस समस्‍या से मर्द और औरत दोनों की ग्रस्‍त हो सकते हैं। अगर इस सेक्‍स की लत को परिभाषित करें तो इसे यूं कह सकते हैं: ये जानते हुए भी कि इसका परिणाम नकारात्‍मक होता है, यदि कोई पुरुष या स्त्री अन‍ियंत्रित रूप से सेक्‍स में लिप्‍त रहे तो इसे सेक्‍स की लत कहते हैं। ये आदत संतुष्टि देने की बजाय भावनात्‍मक रूप से परेशान करने वाली होती है।

सेक्स की लत की अवधारणा को समझ पाना मुश्किल है। खासकर यह देखते हुए कि ये आमतौर पर ये लत कोई दिमागी विकार हो सकता है जिसका परिणाम हानिकारक होता है। हालांकि अत्‍यधिक सेक्‍स की लत की कई वजहें हो सकती हैं। सेक्‍स की लत को दरअसल हाइपरसेक्‍सुअल‍ डिसऑर्डर्स का एक अंग माना जाता है। सेक्‍स की इस लत से पीड़‍ित व्‍यक्ति ये जानते हुए भी कि उसकी ये आदत ठीक नहीं है, खुद को कंट्रोल नहीं कर पाता।

सामान्‍य सेक्‍स जीवन और सेक्‍स की लत में क्‍या अंतर है?

किसी स्‍वस्‍थ सेक्‍स लाइफ वाले व्‍यक्ति के उलट सेक्‍स की लत वाला व्‍यक्ति दूसरों से छिपाकर अपना बहुत अधिक समय सेक्‍स की गतिविधि को देता है। इसके कारण उसका व्‍यक्तिगत और पेशेवर ज‍िंदगी प्रभावित होने लगती है। यदि कोई व्‍यक्ति अपनी इस लत पर नियंत्रण में नाकाम रहता है तो इसके कारण उसे यौन संचारित रोगों, एचआईवी आदि से संक्रमित होने का खतरा भी बढ़ जाता है।  

सेक्‍स का लती व्‍यक्ति अपनी मानसिक समस्‍याओं जैसे कि तनाव, एन्‍जाइटी, अवसाद और सामाजिक अकेलेपन का इलाज सेक्‍स को ही समझ लेता है।

सेक्‍स की लत के प्रकार

  • जैसा कि पहले लिखा गया है सेक्‍स की लत दरअसल मेडिकल फील्‍ड में इस्‍तेमाल होने वाले हाइपरसेक्‍सुअल डिस्ऑर्डर्स का एक हिस्‍सा है और इसके तहत व्‍यवहार से संबंसित कई बीमारियां आती हैं, जैसे कि:
  • हाइपरसेक्‍सुअलिटी (महिलाओं में पहले इसके लिए निम्‍फोमेनिया और पुरुषों में सेट्रायसिस शब्‍द इस्‍तेमाल होता था)
  • इरोटोम्‍न‍िया (इस बीमारी से पीड़‍ित व्‍यक्ति को लगता रहता है कि दूसरे व्‍यक्ति उसके प्रति आकृष्‍ट हैं)
  • पाराफ‍िलिया संबंधित रोग (किसी विशेष ऑब्‍जेक्‍ट, परिस्थिति अथवा फैंटेसी के प्रति जबरदस्‍त सेक्‍सुअल आकर्षण के रूप में इसकी पहचान की जाती है)
  • सेक्‍सुअल डिसइनहीबिशन (सेक्‍स को लेकर किसी भी प्रकार की हिचकिचाहट न होना, भले ही ये कितना भी असभ्‍य लगे) 

 

ये सभी व्‍यवहार एक ऐसे सिद्धांत से करीब से जुड़े होते हैं जिन्‍हें रिस्‍क कॉम्‍पेनसेशन कहा जाता है। इसके तहत सेक्‍स की लत के शिकार लोग अपने सेक्‍सुअल बिहेवियर को रिस्‍क के अपने आकलन के हिसाब से तय करते हैं। परिणामस्‍वरूप लोग खुद को रिस्‍क (संक्रमण, पकड़े जाने का खतरा, काम को समय नहीं दे पाना आदि) के तराजु पर तौलते हुए नुकसानदेह स्थिति में पहुंचा लेते हैं।

लक्षण और पहचान

च‍िकित्‍सा जगत में हर कोई बहुत अधिक सेक्‍स के व्‍यवहार को लत की श्रेणी में रखने को लेकर आश्‍वस्‍त नहीं है। इसी वजह से सेक्‍स की लत को अमेरिकन साइकिएट्र‍िक एसोसिएशन (एपीए) द्वारा प्रकाशित डायग्‍नोस्टिक्‍स एंड स्‍टेटिस्‍टि‍कल मैन्‍युअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर्स में क्लिनिकल डाग्‍नोसिस के रूप में शामिल नहीं किया गया।

इसके कारण सेक्‍स की लत की पहचान के तरीके अकसर अस्‍पष्‍ट होते हैं। इसके बावजूद सेक्‍स की लत से ग्रस्‍त लोगों में कुछ खास चीजें एक जैसी पाई जाती हैं।  

जैसे कि:

  • अन्‍य गतिविधियों के मुकाबले व्‍यक्ति में सेक्‍स व्‍यवहार का महत्‍व सबसे अधिक होता है।
  • संबंधित व्‍यक्ति अकेला होने पर आदतन हस्‍तमैथुन करता है।
  • संबंधित व्‍यक्ति अकेला होने पर फोन सेक्‍स, पोर्नोग्राफी या कंप्‍यूटर सेक्‍स जैसी गति‍विधियों में लिप्‍त रहता है।
  • संबंधित व्‍यक्ति एक से अधिक पार्टनर के साथ सेक्‍स संबंधों में होता है या विवाहेतर संबंधों में लिप्‍त होता है।
  • उसकी सेक्‍सुअल गतिविधि अकसर सही नहीं होती या जोखिम कारक होती है और इसमें पब्लिक सेक्‍स, सेक्‍स वर्कर्स के साथ सेक्‍स अथवा नियमित रूप से सेक्‍स क्‍लबों में जाना शामिल हो सकता है।
  • सेक्‍स की तलब खुद को गलत मानने, किसी भय, अवसाद या शर्म की भा‍वनाओं के साथ आ सकती है।

 

दरअसल सेक्‍स की लत को हाइपरसेक्‍सुअलिटी और कम आत्‍म विश्‍वास के बीच में माना जा सकता है। हालांकि सेक्‍स के जरिये अल्‍पा‍वधि में राहत मिलती है मगर संबंधित व्‍यक्ति की मानसिक स्थिति समय के साथ खराब ही होती है।

ये जरूरी नहीं है कि सेक्‍स का लती व्‍यक्ति ‘अजीब’ तरह के सेक्‍स में ही लिप्‍त रहे। सीधे से कहें तो ऐसे लोग ये जानते हुए कि जो वो कर रहे हैं वो ठीक नहीं है, सेक्‍स के गतिविधि में लिप्‍त हो जाते हैं और खुद को नियंत्रित नहीं कर पाते।

कारण

सेक्‍स की लत क्‍यों लग जाती है इसे लेकर कई तरह के सिद्धांत हैं। इसके तहत अतीत में किसी तरह के सेक्‍सुअल ट्रॉमा से उत्‍पन्‍न मानसिक और भावनात्‍मक समस्‍याएं भी आती हैं।

उदाहरण के लिए, यदि कोई महिला दुर्भाग्‍यवश रेप का शिकार हो जाती है तो खुद को चोट पहुंचाने के लिए हाइपरसेक्‍सुअल बिहेवियर का शिकार हो जाती है। कई मामलों में देखा गया है कि बचपन के बुरे यौन शोषण या ट्रॉमा से निबटने के लिए सेक्‍स का इस्‍तेमाल एक औजार के रूप में लोग करने लगते हैं।

कई तरह की मानसिक बीमारियों (अवसाद, ओसीडी और बाइपोलर डिसऑर्डर) में हाइपरसेक्‍सुअलिटी एक लक्षण हो सकता है। ये या तो भरपाई के रूप में (अवसाद के मामलों में) या फ‍िर उन्‍मत्‍ता की स्थिति (बाइपोलर डिसऑर्डर) के रूप में हो सकता है।

दुर्लभ मामलों में (जैसे कि मिर्गी, सिर के चोट या डिमेंशिया) तंत्रिका तंत्र को हाइपरसेक्‍सुअल बिहेवियर का कारण माना जाता है। कुछ दवाएं भी इसकी वजह हो सकती हैं।

कहां से सहायता लें

सेक्‍स की लत से छुटकारा पाने के लिए मेडिकल फील्‍ड के अनुभवी च‍िकित्‍स से मदद की जरूरत हो सकती है। खासकर सेक्‍स थेरेपिस्‍ट, साइकोलॉजिस्‍ट या साइकियाट्रिस्‍ट इसमें मददगार हो सकते हैं। इसका इलाज समस्‍या की वजह के अनुरूप बदल सकता है। इलाज का पहला चरण अपने फैमिली डॉक्‍टर को समस्‍या के बारे में बताने से शुरू हो सकता है। वो आपको सही विशेषज्ञ के पास भेज सकते हैं।

 

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