महिलाओं में मानसिक तनाव बढ़ा सकता है हृदय रोग का खतरा
सेहतराग टीम
आजकल महिलाओं के लिए चली आ रही सामाजिक व्यवस्था से संतुलन बैठाने की चुनौती तनाव का कारण बनती जा रही है। जिसके कारण हृदय रोग का जोखिम बढ़ता जा रहा है, एक शोध में पाया गया है कि ऐसी महिलाओं में मानसिक और सामाजिक तनाव के कारण हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है जो ज्यादा तनाव लेती हैं।
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यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें दिल की धमनियां संकरी हो जाती है और ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है जिससे हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। अमेरिका की ड्रेक्सल यूनिवर्सिटी में किए गए शोध और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन जनरल में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि महिलाओं में नौकरी, सामाजिक और पारिवारिक तनाव आदि का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण हार्ट डिजीज का खतरा 21 फ़ीसदी तक बढ़ जाता है महिलाओं में तनाव तब ज्यादा होता है जब उनके प्रोफेशन में उनकी शक्तियां और अधिकार सीमित होते हैं।
शोध में यह भी कहा गया है कि पति की मौत, असंतुलित वैवाहिक जीवन और खराब बर्ताव एवं सामाजिक तनाव हार्टअटैक बढ़ाने में अहम कारक हो सकता है ,यह निष्कर्ष लगभग 80 हजार से ज्यादा महिलाओं पर किए गए डेटा विश्लेषण पर आधारित है। 14 साल 7 महीने चले इस शोध में 5 फ़ीसदी महिलाओं में कोरोनरी हृदय रोग की समस्या रही जबकि सामाजिक आर्थिक स्थिति और जीवन की घटनाओं की वजह से कोरोनरी हृदय रोग के 12 फीसदी तक मामले पाए गए इससे पता चलता है कि कैसे काम का तनाव और सामाजिक तनाव हृदय रोग के खतरे को बढ़ा देते हैं। वर्तमान में कोरोना महामारी ने महिलाओं के काम और रोजगार को लेकर तनाव को और भी बढ़ा दिया है।
ड्रेक्सल यूनिवर्सिटी की डार्नसाइफ स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ की रिसर्चर एलोन माइकल के अनुसार शोध के नतीजों से कार्य स्थलों पर तनाव की निगरानी के लिए उपयुक्त तरीकों को अमल में लाने में मदद मिल सकती है।
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