लोहा, अल्‍युमिनियम या स्‍टील, किस बर्तन में पकाएं खाना

लोहा, अल्‍युमिनियम या स्‍टील, किस बर्तन में पकाएं खाना

सेहतराग टीम

एनीमिया एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण शरीर में हीमोग्लोबिन यानी खून का लेवल कम हो जाता है। भारत में लगभग 50 फीसदी महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित हैं। हीमोग्लोबिन की कमी से पीरियड्स के दौरान जरूरत से ज्यादा ब्लीडिंग होने लगती है, जिससे थकान महसूस होती है और शरीर के अंगों में दर्द की शिकायत रहने लगती है। ये बीमारी शरीर में आयरन यानी लौह तत्‍व की कमी से होती है। किसी को ये समस्‍या हो जाए तो उसे दवा के रूप में आयरन की गोलियां खानी पड़ती है।

इस बारे में आंखें खोलने वाला एक जोरदार अध्‍ययन झारखंड से सामने आया है। दरअसल झारखंड की राजधानी रांची से 70 किलोमीटर दूर तोरपा ब्लॉक में 80 फीसदी महिलाओं में हीमोग्‍लोबिन की कमी थी। वहां के इबल इलाके में काम करने वाले स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ताओं ने महिलाओं कहा कि वे लोहे की कढ़ाई में खाना बनाएं। महिलाओं ने ऐसा ही किया जिसके बाद 6 महीने के ही अंदर लोहे की कढ़ाई और लोहे के बर्तन में खाना बनाने वाले परिवारों का हीमोग्लोबिन स्‍तर बढ़ गया।

क्‍या ये महज संयोग है? जी नहीं। दरअसल यदि हम थोड़ा पहले का समय याद करें तो हर घर में खाना पकाने के लिए लोहे के बर्तनों का ही इस्‍तेमाल किया जाता था। मगर स्‍टील और अल्‍युमिनियम के बर्तनों की आमद ने लोहे को चलन से बाहर कर दिया। स्‍टेनलेस स्‍टील तो लोहे का ही उत्‍पाद है मगर उसमें कच्‍चे लोहे से मिलने वाले गुण निकल गए हैं। वैज्ञानिक अध्‍ययनों ने ये साबित किया है कि स्‍टील के बर्तन में खाना पकाने से भले ही नुकसान कुछ नहीं होता मगर उससे किसी तरह का लाभ नहीं नहीं मिलता। दूसरी ओर अल्‍युमिनियम चूंकि बॉक्‍साइड का बाइप्रोडक्‍ट है और बॉक्‍साइड शरीर के लिए नुकसानदेह होता है इसलिए उसके बर्तन में खाना बनाना शरीर के लिए हानिकारक ही होता है। नियमित रूप से इस तरह के बर्तन का उपयोग करने वाले घरों में लोगों की हड्डियां कमजोर होना, नर्वस सिस्‍टम को नुकसान होना, मानसिक बीमारी होना आम बात है।

झारखंड के प्रयोग की बात करें तो इसकी पहल करने वालों में से एक ने बताया कि जब हमने महिलाओं से बात की तो उन्होंने हमें अपनी बीमारी के बारे में बताया। हम लोगों ने उन्हें लोहे के बर्तन में खाना बनाने के लिए कहा और साथ ही खाने में हरी पत्तेदार सब्जियां और साइट्रिक ऐसिड शामिल करने को कहा। दरअसल साइट्रिक ऐसिड, आयरन को अब्जॉर्ब करने में मदद करता है जिससे एनिमिया की स्थिति दूर होती है।

एनीमिया की समस्या में हो रहे सुधार को देखते हुए अब एनजीओ इस पहल को दूसरे जिलों में भी ले जाना चाहता है। पिछले कुछ सालों में आयरन कुकवेअर यानी खाने बनाने के लिए लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल बढ़ गया है। गावों में ही नहीं बल्कि शहरों में भी इस ट्रेंड की वापसी हो रही है। लोहे के बर्तनों का निर्माण खासतौर पर तमिलनाडु के तेंकासी गांव में होता है जहां पिछले 300 सालों से लोहे के प्रॉडक्ट्स का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा लोहे के बर्तन में खाने बनाने से स्वास्थ्य को ही फायदा नहीं होता है बल्कि खाने बनने में वक्त भी कम लगता है।

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