होम्योपैथी में है थायरॉइड का बेहतर इलाज

होम्योपैथी में है थायरॉइड का बेहतर इलाज

डॉ. बलबीर कसाना

आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी व्यक्ति ने अपने स्वास्थ्य ध्यान देना बिल्कुल बंद कर दिया। ऐसे में वह कई बीमारियों का शिकार हो जाता है। जब तक वह इन सब पर ध्यान देता है तब उसे दवाओं पर निर्भर होना पड़ता है। इनमें से कुछ रोग ऐसे भी जिसमें व्यक्ति को सारी जिंदगी दवाई का सहारा लेना पड़ता है। इनमें एक बीमारी है जिसकी समस्या बढ़ती जा रही है और वह बीमारी है थायरॉइड।

थायरॉइड क्या है?

प्रत्येक मनुष्य के गले के सामने के भाग में तितली के आकर की एक ग्रंथि होती है, जिसे थायरॉइड ग्लैंड कहते हैं। इससे हॉर्मोंस स्त्रवण होते हैं। T3 यानी त्रिआईडोथायरॉनिन (Triiodothyronine) और T4 यानी थायरॉक्सिन(Thyroxine) मुख्य हॉर्मोन होते हैं और इन हॉर्मोन्स को ब्रेन की पिट्यूटरी ग्लैंड से स्त्रावित थायरॉइड स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन (TSH or Thyroid Stimulating Harmon) नियंत्रित करता है। T3 और T4 शरीर में ऑक्सिजन के उपयोग की मात्रा को बढ़ाते हैं। इन हॉर्मोन्स के अलावा केल्सिटॉनिन (Cacitonin)नामक हार्मोन भी स्त्रावित होता है। यह शरीर में कैल्शियम और फास्फेट को नियंत्रित करता है। ये हार्मोन्स शरीर में बहुत सी क्रियायों को नियंत्रित करते हैं जैसे ग्रोथ, डेवलपमेंट, मेटाबॉलिजम, शरीर के तापमान को नियंत्रित करना आदि।

थायरॉइड के प्रकार-

1- हाईपोथॉयरायडिजम की समस्या में व्यक्ति को बहुत ज्यादा कमजोरी और थकान होती है। साथ ही उसे वज़न बढ़ने की भी शिकायत रहती है। व्यक्ति को ठंड बर्दाश्त नहीं हो पाती है। इसके अलावा उसके बाल भी काफी सूखे और कमजोर हो जाते हैं। याददाश्त की बात करें, तो इंसान को इससे संबंधित भी कई समस्याएं रहती हैं। व्यक्ति छोटी-छोटी बात पर चिड़चिड़ा हो जाता है। वह अवसाद से भर जाता है। इसमें ज़्यादा कोलेस्ट्रोल होने और दिल की धड़कन कम होने की शिकायत रहती है। कई बार तो व्यक्ति इसमें कब्ज रहने से भी परेशान रहता है।

2- हायपरथाइरॉयडिज्म में व्यक्ति का वज़न कम होने लगता है। उसे गर्मी बर्दाश्त न होने की शिकायत रहती है। पेट में बार-बार गड़बड़ी होना, अचानक से कंपकंपी आना, घबराहट और चिड़चिड़ापन रहना जैसी कई चीज़ें व्यक्ति के साथ होने लगती हैं। थाइरॉयड ग्रंथि इस समस्या में बढ़ जाती है। साथ ही इसमें नींद में भी गड़बड़ी रहती है। इसके अलावा व्यक्ति इसमें खुद को थकावट से भरा महसूस करता है।

होम्योपैथी में थायरॉइड का इलाज-

होम्योपैथी में न केवल बीमारी का उपचार किया जाता है, बल्कि उसके लक्षण व कोई अन्य बीमारी होने की संभवना को भी ठीक किया जाता है। लक्षणों को दबाने की बजाय, होम्योपैथिक उपचार समस्या के अंदरूनी कारण को ठीक करता है। थायराइड विकार के मामले में, होम्योपैथिक इलाज थायराइड के बिगड़े हुए कार्य को दोबारा से ठीक करके काम करता है। ये दवाएं प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी काम करती है और उन एंटीबाडी को खत्म करती हैं जो थायराइड ग्रंथि को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे स्वप्रतिरक्षित समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

शुरूआती दौर में ही थायरॉइड का पता लगाकर अच्छे से उपचार किया जाये तो होम्योपैथिक दवाओं से बिना किसी दुष्प्रभाव के थायराइड विकार के कारण होने वाली शारीरिक व मानसिक जटिलताओं को रोका जा सकता है।

होम्योपैथी के अनुसार दवाएं-

Bromine,   Calcarea Carbonica, Iodinum, Thyreoidinum etc.

 

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