खुशखबरी: मई से कम होने लगेगा कोरोना का कहर

खुशखबरी: मई से कम होने लगेगा कोरोना का कहर

सेहतराग टीम

कोरोना के कहर से जूझ रहे देश के लिए कुछ सुकुन के संकेत मिले हैं। पहली बार सरकार ने अधिकारिक तौर पर एक मई से कोरोना केस में कमी आने की आंशका जताई है। निति आयोग के सदस्य और कोरोना के खिलाफ गठित टॉस्क फोर्स के प्रमुख वीके पॉल ने देश में कोरोना केस में बढ़ोतरी के ट्रेंड और उसके आधार पर भविष्य के प्रोजेक्शन को एक ग्राफ के तौर पर प्रदर्शित किया है। इससे पता चलता है कि देश में कोरोना तीस अप्रैल तक चरम पर होगा। उसके बाद उसमें गिरवाट आनी शुरु हो जाएगी।

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डॉ पॉल ने कहा कि लॉकडाउन का असली असर छह अप्रैल के बाद दिखाई देने लगेगा। 24 मार्च से पहले जो लोग संक्रमित हो चुके थे, उनमें लक्षण आने में सात से चौदह दिन का समय लगा। इसलिए 31 मार्च से छह अप्रैल के बीच लॉकडाउन के दूसरे हफ्ते में मरीजों की संख्या दोगुनी गति से बढ़कर 5.2 से 4.2 दिन हो गई है। लॉकडाउन का असर आने के बाद सात से 13 अप्रैल के दूसरे हफ्ते में कोरोना के केस के दोगुना होने की गति छह दिन और 14 अप्रैल से 20 अप्रैल के चौथे हफ्ते में 8.6 दिन तक पहुंच गई। लॉकडाउन-2 के बाद कोरोना केस को दोगुना होने में समय लग जाएगा, या कहे की कोरोना केस को दोगुना होने वाला समय और भी बढ़ जाएगा।

वैसे सरकार ने अधिकारिक रुप से यह आंकडा जारी नहीं किया है, लेकिन एक वरिष्ट अधिकारी ने कहा कि यदि 16 अप्रैल से 23 अप्रैल के बीच के आंकडे तो देखे तो मरीजों की संख्या दोगुनी होने में दस दिन का समय लग रहा है। 21 अप्रैल से 23 अप्रैल के बीच यह गति और भी कम हुई है। 14 दिन से भी अधिक समय में मामले दोगुने हुए हैं, जो एक अच्छा संकेत है। संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी की गति में तेज गिरावट इस बात का संकेत है कि भारत में कोरोना अपने पीक की ओर पहुंच रहा है। अधिकारी ने कहा यदि किसी इलाके में मामले बदलते है तो यह प्रोजेक्शन बदल जाएगा।

सर्दी जुकाम और सांस के रोगियों पर नजर

डॉ पॉल ने कहा कि देश में सर्दी-जुकाम, खांसी-बुखार और सांस से संबधित गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों पर नजर रखी जा रही है।

फिलहाल ढ़ील नहीं

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में केंद्र सरकार शारीरिक दूरी कंटेनमेंट जोन में ढ़ील देने के लिए तैयार नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि कांट्रेक्ट ट्रेंसिंग और ट्रेविंग हिस्ट्री के आधार पर पूरे देश में नौ लाख 45 हजार 915 लोगों को निगरानी में रखा गया है।

 

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