दिल्‍ली में एक्टिव मरीज 11 हजार से अधिक, बेड 4 हजार से कम, भगवान भरोसे कोरोना मरीज

दिल्‍ली में एक्टिव मरीज 11 हजार से अधिक, बेड 4 हजार से कम, भगवान भरोसे कोरोना मरीज

सुमन कुमार

कोरोना महामारी से निबटने, प्रवासी मजदूरों से जुड़े मसलों को सही से नहीं हैंडल करने और कोरोना मरीजों के लिए बिस्‍तरों की व्‍यवस्‍था के गलत दावों में उलझी दिल्‍ली की अरविंद केजरीवाल सरकार अब कोरोना मरीजों को भगवान भरोसे छोड़ने, मौत के आंकड़े छिपाने, दैनिक डाटा पांच दिनों से अपडेट न करने जैसे आरोपों से जूझ रही है।

डाटा अपडेट नहीं

केजरीवाल सरकार पिछले पांच दिनों से कोविड-19 से जुड़े आंकड़ों को दिल्‍ली सरकार के स्‍वास्‍थ्य विभाग की सरकारी वेबसाइट पर अपडेट नहीं कर रही है। खास बात ये है कि इन्‍हीं पांच दिनों में दिल्‍ली में कोरोना से जुड़े नए मरीज बेतहाशा बढ़े हैं जबकि कोरोना से मौत के मामलों में करीब 60 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

आंकड़ों पर नजर डालें तो 28 मई को, जब दिल्‍ली सरकार ने आखिरी बार अपनी बेवसाइट पर डाटा अपलोड किया था, उस दिन दिल्‍ली में कुल कोरोना मरीजें की संख्‍या 16281 थी जबकि कोरोना से मौतों की संख्‍या 316 थी। अगले चार दिनों में यानी 1 जून तक मरीजों की संख्‍या बढ़कर 20834 पर पहुंच गई जबकि मृतकों की संख्‍या 523 हो गई। यानी सिर्फ चार दिन में नए मरीजों की संख्‍या करीब साढ़े चार हजार बढ़ गई जबकि मृतकों की संख्‍या 207 बढ़ गई। ये ऐसे आंकड़े हैं जिनपर सरकार को जवाब देना भारी पड़ रहा है।

मौत से जुड़े दावों का सच

सरकार लगातार दिल्‍ली में कम मौतों का दावा कर रही थी मगर कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता अजय माकन ने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाया कि वो मौत के आंकड़ों को कम करके दिखा रही है। चार दिन पहले माकन ने ट्वीट कर कहा कि दिल्ली में 1036 शवों का दाह संस्कार कोविड प्रोटोकॉल से हुआ है परंतु मृत्यु का सरकारी दावा अब भी 392 की ही है। असलियत ये है कि निगम बोध घाट पर 439, पंजाबी बाग में 389, आईटीओ में 164, मंगोल पुरी में 22 और बुलंद मस्जिद में 22 शवों को संस्‍कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत किया गया है। ये सभी संस्‍कार देर रात को किए गए हैं ताकि कोई अखबार खबर न छाप सके।

कमाल की बात है कि माकन के इस आरोप से ठीक एक दिन पहले से दिल्‍ली सरकार ने अपनी वेबसाइट पर कोरोना आंकड़े जारी करने बंद कर दिए। हालांकि केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय को डाटा भेजे जा रहे हैं मगर केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय सिर्फ समग्र डाटा ही जारी करता है यानी कुल मरीज, कुल मौतें, कुल रिकवरी और कुल एक्टिव केस का डाटा। दिल्‍ली सरकार 28 मई तक जो डाटा दे रही थी उसमें जिला और अस्‍पताल तक के पूरे डाटा दिए जाते थे मगर अब वो डाटा नहीं आ पा रहा है।

भगवान भरोसे मरीज

गौरतलब है कि केजरीवाल सरकार इससे पहले कोरोना मरीजों के लिए बिस्‍तरों के इंतजाम पर भी घिर चुकी है। सरकार ने कई बार दावा किया कि उसने मरीजों के लिए 30 हजार ब‍िस्‍तरों की व्‍यवस्‍था कर रखी है मगर बाद में ये सच सामने आया कि असल में दिल्‍ली के अस्‍पतालों में कुल मिलाकर सिर्फ 3200 बिस्‍तरों की ही व्‍यवस्‍था थी। ये सच्‍चाई सामने आने के बाद आनन फानन में इस संख्‍या को 38 सौ तक बढ़ाया गया। अब स्थिति ये है कि दिल्‍ली में कोरोना के 20 हजार से अधिक मरीज हैं और इसमें से 11565 एक्टिव मरीज हैं। चूंकि दिल्‍ली के अस्‍पतालों में मरीजों के लिए सिर्फ 4000 बेड ही उपलब्‍ध है ऐसे में साढ़े सात हजार मरीजों को घर पर ही रहना पड़ रहा है। ये वही स्थिति है जिससे इटली, स्‍पेन, अमेर‍िका जूझ रहे हैं और ऐसे में दिल्‍ली के कोरोना मरीजों का भगवान ही मालिक है।

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